22nd April, 2025, 6:36 AM
21 अप्रैल 2025 को ईस्टर सोमवार के दिन वेटिकन सिटी स्थित उनके निवास डोमस सांक्टे मार्थे में सुबह 7:35 विश्व प्रसिद्ध पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। उनकी आयु लगभग 88 वर्ष थी। उनकी मृत्यु का कारण डबल निमोनिया बताया जा रहा है, जिससे वे हाल ही में अस्पताल में भर्ती भी हुए थे। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के मुताबिक उनकी मस्तिष्क से संबंधित समस्या, संभवत: स्ट्रोक के कारण हुई ऐसा संकेत दिया गया।
पोप फ्रांसिस का असली नाम जाॅर्ज मारियो बर्गोलियो था, 2013 में वह पोप बने थे। और वे पहले लैटिन अमेरिकी, जेसुइट और आधुनिक समय में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उन्होंने अपने 12 वर्षीय कार्यकाल में, उन्होंने चर्च में की सुधार किये जैसे कि वित्तीय पार्दर्शिता, पर्यावरण संरक्षण और हाशिए पर रहने विले समुदायों के प्रति सहानुभूति। उन्होंने वेटिकन में महिलाओं को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया और LGBTQ+ समुदायों के प्रति चर्च के दृष्टिकोण में बदलाव लाने की कोशिश की।
♨️अंतिम संस्कार:
उनकी मृत्यु के बाद, वेटिकन पारंपरिक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को ही पालन करेगा जिसमें कार्डनिल्स की एक बैठक (काॅन्क्लेव) आयोजित की जाएगी ताकि नए पोप का का चुनाव किया जा सकें। उनका अंतिम संस्कार सादगीपूर्ण तरीके से पोप फ्रांसिस की इच्छा के मुताबिक ही होगी और उन्हें रोम के सैंट मैरी मेजर बेसिलिका में दफ़नाया जाएगा। जिससे वे 1903 के बाद, पहले पोप होंगे जिन्हें वेटिकन के बाहर दफ़नाया जाएगा।
उनके निधन पर दुनिया के सभी नेताओं ने व सभी धार्मिक लोगों ने शोक व्यक्त किया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी उन्हें " दीन-दुखियों के लिए आवाज उठाने वाले" तथा " दया और न्याय:" की के प्रतीक के रुप में याद किया है। अन्य विश्वभर के नेताओं ने भी उनके करुणा, समावेशिता, और सामाजिक न्याय के प्रति सराहना करते हुए शोक व्यक्त किये हैं।
❇️संत रामपाल जी महाराज का अध्यात्मिक विचार:
कबीर, आएं हैं सो जाएंगे राजा रंक फकीर।
एक सिंहासन चढ़ चले, एक बंधे जाता जंजीर।।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने वाणी बोलते हुए अध्यात्मिक ज्ञान समझाते हुए बताते हैं कि जो जन्म लिया है वो तो मरेंगे ही या कहें जो धरती पर आएं हैं तो एक दिन जाना ही है चाहे अमीर हो या गरीब, प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति, कोई प्रसिद्ध व्यक्ति हो आम व्यक्ति जाना तो सभी ने है एक दिन परंतु संत रामपाल जी महाराज तत्वज्ञान समझाते हुए बताते हैं कि भगत (सत्य भक्ति, शास्त्रों अनुकूल भक्ति साधना करने वाले) और जगत (जो भक्ति नहीं करते और करते भी हैं तो मनमानी करते हैं तथा शास्त्रों विरुद्ध भक्ति साधना करते हैं।) दोनों तरह के मानव के संसार से जानें में अंतर रहता है। शास्त्रों अनुकूल सत्यभक्ति करने वाले मानव भगवान के भेजें विमान में बैठकर सही ठिकाने में पहुंचता है। भगवान के पास जाता है सर्व उत्तम स्थान काल के नाशवान स्वर्गलोक - महास्वर्ग लोक से भी ऊपर सतलोक (सचखंड, अमरलोक, सनातन परम धाम) में पहुंचता है।
परंतु वहीं जगत इंसान जो भक्ति नहीं करते या शास्त्रों विरुद्ध, अंधविश्वास, पाखंड वाले पूजा साधना, अंधश्रद्धा भक्ति करते हैं वो अपराधियों की तरह यम के दूत जंजीरों से बांधकर धर्मराज के लोक में ले जाते हैं। जहां सभी जीवों का लेखा जोखा होता है। पाप पुण्यों जो तिल-तिल का लेखा लेता है। फिर उनके कर्म अनुसार पुण्य है तो स्वर्ग कुछ दिन के लिए और पाप किया है तो नरक। फिर चौरासी लाख योनियों में भी कष्ट झेलना पड़ता है।
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